ज्ञानी हुए थे मौन,
अंधा राजा बना था बहरा,
सभा में अधर्म हुआ था गहरा| (1)
पांचाली की चीखें नहीं , ये महाभारत का आवाहन है,
रुक जा हे दुःशासन, उसके आँसू तेरे विनाश का तेज़ाब हैं|
यह दुष्कर्म था पुरुषों का,
न्याय करने अपौरूषेय (2) को आना ही था,
कृष्णा ने लाज बचाई थी,
अहंकार से बड़ी चीर बढ़ाई, जिसमे द्रौपदी समायी थी|
ये कहानी है द्वापर की,
पर अब भी बदला न समाज है,
आज भी अंधा राजा और ज्ञानी शांत है|
ऐसे पुरूषों के पुरुषार्थ पर धिक्कार है,
जो स्त्री को पैर की धूल और बेटी को समझते बोझ है|
हे कलंकित पुरुष, वो देवी है,
प्रेम करो तो पार्वती, वरना वो चामुंडा है|
जय सिया राम तो सब बोलेंगे,
सिया का मान फिर कोई कर पायेगा?
धोबी भद्रा (3) ये समाज है, सिया को कलंकित करता जायेगा|
हे अंधे कानून कब तू समझ पायेगा,
अपमान स्त्री का नहीं, तिरंगे का है,
तू भारत माँ को अपना चेहरा कैसे दिखा पायेगा|
लगा नहीं था कलियुग में ऐसा समय आएगा,
तू भूदेवी को खून के आंसू रुलाएगा|
मंदिर ऊँचे बना लिए,
पर खोखले तुम्हारे संस्कार हैं,
न्याय के लिए आठ साल!
क्या अंधे बहरों का ये समाज है?
राम की जन्मभूमि पर करो सिया का अपमान,
तीनो लोकों में तुझे नहीं मिलेगा स्थान|
हे कलियुग के दुःशासन,
अब शकुनि के पासे काम न आएंगे,
सावधान दुःशासन!
वरना केशव न्याय का सुदर्शन चक्र चलाएँगे|
Explanation of a few references:
- The story of public disrobing of Draupadi comes from Jaya, popularly known as Mahabharata
written by Ved Vyasa
- Apauruṣeyā (अपौरूषेय) is an adjective used to describe the Vedas, the word means something not created by humans. Here Krishna is called as Apauruṣeyā because the concept of Krishna is so beautiful, pleasing and enraptures anyone who seeks him; hence we can conclude that Krishna is Apauruṣeyā.
- The story comes from Uttar Kand of Ramayana, where a washerman or a Dhobhi claims Sita to be impure because she stayed at Ravana’s palace (who wasn’t her husband) for months and hence is unfit to be the queen of Ayodhya. And due to this street gossip, Sita was sent to the forest.